राजा महाबलि की कथा : ओणम पर्व का इतिहास और महत्व

राजा महाबलि की कथा : त्याग और भक्ति की अमर गाथा

परिचय

भारतीय पुराणों और कथाओं में अनेक महान राजाओं का वर्णन मिलता है। इनमें से राजा महाबलि (या बलि) को उनके त्याग, धर्मनिष्ठा और दानशीलता के लिए विशेष रूप से याद किया जाता है। विशेषकर केरल राज्य में ओणम पर्व के अवसर पर राजा महाबलि की कथा का स्मरण किया जाता है।

राजा महाबलि कौन थे?

राजा महाबलि, असुरों के राजा प्रह्लाद के पौत्र और विरोचन के पुत्र थे।

वे अत्यंत धर्मप्रिय, दानवीर और प्रजा वत्सल शासक थे।

उनके राज्य में किसी को कोई दुःख, अभाव या अन्याय नहीं था।

प्रजा उन्हें देवताओं से भी बढ़कर मानती थी।

राजा महाबली ने तीनों लोकों को जीत लिया था।

कथा : वामन अवतार और तीन पग भूमि

पुराणों के अनुसार, जब देवताओं ने देखा कि असुरराज महाबलि की लोकप्रियता और शक्ति दिन-ब-दिन बढ़ रही है, तो वे चिंतित हो गए। देवताओं ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे उनका उद्धार करें।

वामन अवतार

भगवान विष्णु ने वामन (बौने ब्राह्मण) का रूप धारण किया। और राजा की परीक्षा लेने पहुंचे।

जिस दिन राजा महाबली अश्वमेध यज्ञ कर रहे थे उसी दिन भगवान वहां आये।

वे महाबलि के यज्ञ में पहुँचे और तीन पग भूमि दान में माँगी।

यह सुनकर असुरो के गुरु शुक्राचार्य को शंका हुई तो उन्होंने राजा महाबली को रोकने का प्रयास किया लेकिन राजा ने भगवान को तीन पग की भूमि लेने की अनुमति दे दी।

तीन पग की लीला

  1. भगवान बिष्णु ने पहले पग में वामन ने संपूर्ण पृथ्वी नाप ली।
  2. दूसरे पग में उन्होंने आकाश नाप लिया।
  3. तीसरे पग के लिए कोई स्थान न बचा, तब महाबलि ने अपना शीश अर्पित कर दिया।

इस प्रकार महाबलि ने भगवान विष्णु को अपना सब कुछ दान कर दिया।

भगवान विष्णु का वरदान

राजा महाबलि की भक्ति और दानशीलता से प्रसन्न होकर, भगवान विष्णु ने उन्हें वरदान दिया कि—

वे पाताल लोक में रहेंगे।

लेकिन वर्ष में एक बार उन्हें अपनी प्रजा से मिलने की अनुमति होगी।

यही अवसर ओणम पर्व के रूप में मनाया जाता है।

ओणम और राजा महाबलि

केरल में ओणम का पर्व यह विश्वास कर मनाया जाता है कि उस दिन राजा महाबलि अपनी प्रजा से मिलने आते हैं।

घर-घर पुकलम (फूलों की रंगोली) बनाई जाती है।

ओणम साध्या (भव्य भोज) का आयोजन होता है।

नृत्य, गीत और खेलों के माध्यम से महाबलि का स्वागत किया जाता है।

संदेश

राजा महाबलि की कथा हमें सिखाती है कि—

सच्चा राजा वही है जो प्रजा को परिवार मानता है।

दान, विनम्रता और धर्म ही किसी शासक का वास्तविक आभूषण है।

भक्ति और समर्पण से भगवान भी प्रसन्न होते हैं।

निष्कर्ष
राजा महाबलि की कथा भारतीय संस्कृति में त्याग, दान और धर्मनिष्ठा की अद्भुत मिसाल है। आज भी जब हम ओणम का पर्व मनाते हैं, तो यह केवल एक त्योहार नहीं बल्कि महाबलि जैसे आदर्श शासक को याद करने का अवसर है।

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